Bilaspuri Satrala
उत्तर प्रदेश में इन दिनों हलाल लेबल वाली दवाओं और सौंदर्य प्रसाधनों के बनाने, स्टोर करने और बेचने पर लगाई गई रोक को लागू करने के लिए पूरे राज्य में छापे मारे जा रहे हैं.इस पूरे मामले की जड़ में कुछ दिन पहले लखनऊ में दर्ज कराई गई एक एफ़आईआर है जिसमें हलाल का सर्टिफ़िकेट देने वाली संस्थाओं पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं.
हलाल का मतलब है इस्लामिक शरीयत के हिसाब से बनाया गया प्रोडक्ट.
18 नवंबर को राज्य की अपर मुख्य सचिव अनीता सिंह ने उत्तर प्रदेश में हलाल सर्टिफाइड उत्पादों पर रोक लगाने का आदेश जारी किया.
1940 के ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स एक्ट के नियमों के तहत यह आदेश जारी किया गया है, आदेश में कहा गया है कि मौजूदा कानून में "दवाओं और कॉस्मेटिक उत्पादों पर हलाल का लेबल लगाने का कोई प्रावधान नहीं है."
आदेश में लिखा गया है कि अगर कोई दवाइयों और सौंदर्य प्रसाधनों पर हलाल का लेबल लगाता है तो उसे मौजूदा कानूनों के तहत भ्रामक जानकारी देने का दोषी माना जाएगा और यह 1940 के ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स कानून के तहत सज़ा हो सकती है.
आदेश में ये भी लिखा है कि एक्सपोर्ट होने वाले प्रोडक्ट्स को छोड़कर उत्तर प्रदेश में हलाल लेबल वाली दवाइयों और सौंदर्य प्रसाधनों की मैन्युफैक्चरिंग, स्टोरेज, डिस्ट्रीब्यूशन और खरीद-बिक्री होने पर 1940 के ड्रग्स और कॉमेटिक्स एक्ट के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी.
इसके अलावा एक अधिसूचना जारी की गई है जिसमें कहा गया है कि सरकार को जानकारी मिली है कि कुछ कंपनियाँ डेरी प्रोडक्ट्स, बेकरी, तेल, नमकीन, फ़ूड ऑयल और अन्य प्रोडक्ट्स पर हलाल का लेबल लगा रही हैं.
इस नोटिफिकेशन में लिखा है, "फ़ूड प्रोडक्ट्स का हलाल सर्टिफिकेशन एक सामानांतर (पैरेलल) व्यवस्था है जो फ़ूड प्रोडक्ट्स के बारे में भ्रम की स्थिति पैदा करता है और कानून के विरुद्ध है. दवाइयों और कॉस्मेटिक उत्पाद पर हलाल लेबलिंग भ्रामक जानकारी देना है जो खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के तहत एक अपराध है."
बीबीसी ने आदेश जारी करने वाली अधिकारी एडिशनल चीफ सेक्रेटरी अनीता सिंह से विस्तार से बात कर इन सवालों के जवाब जानना चाहे लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई. अगर सरकार इस बारे में और जानकारी देती है तो उसे इस रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा.
सरकार के रोक के आदेश के तकरीबन 24 घंटे पहले लखनऊ के हज़रतगंज थाने में कई उत्पादों पर हलाल का स्टिकर लगाए जाने की शिकायत करते हुए एक एफ़आईआर लिखवाई गई.
इस एफआईआर में चेन्नई की हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, दिल्ली की जमीयत उलेमा हिन्द हलाल ट्रस्ट, जमीयत उलेमा महाराष्ट्र, और अज्ञात कंपनियों, उनके मालिकों और मैनेजमेंट के खिलाफ आरोप लगाया गए हैं.
एफ़आईआर में लिखा गया है कि यह हलाल सर्टिफिकेट देकर और लेबल लगाकर एक धर्म विशेष के ग्राहकों में उनकी बिक्री बढ़ाने का छल किया जा रहा है. ये आरोप भी है कि हलाल सर्टिफिकेट देने में जाली दस्तावेज़ों का इस्तेमाल हो रहा है जिससे लोगों आस्था के साथ खिलवाड़ हो रहा है.
एफआईआर में आरोप यह भी है कि जो कंपनियां यह हलाल सर्टिफिकेशन नहीं ले रही हैं उनके प्रोडक्ट्स की बिक्री इससे प्रभावित होती है जो अनुचित है.माँस रहित उत्पादों जैसे तेल, साबुन, शहद वग़ैरह की बिक्री के लिए हलाल सर्टिफिकेट दिया जा रहा है जो अनावश्यक है. ये भी आरोप है कि इसकी वजह से ग़ैर-मुसलमान व्यापारियों के व्यावसायिक हितों का नुकसान हो रहा है.
एफआईआर में आशंका जताई गई है कि इसमें देश को कमज़ोर करने वाले लोग शामिल हैं, करोड़ों रूपए कमाए जा रहे हैं और इन पैसों से आतंकवादी संगठनों और राष्ट्रविरोधी संगठनों की फंडिंग की जा सकती है.