न्यायिक मामले में हस्तक्षेप करने के लिए आयुष मंत्री को नोटिस

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शिमला (RAJNISH SHARMA): प्रदेश उच्च न्यायालय ने न्यायिक मामले में हस्तक्षेप करने के लिए आयुष मंत्री को नोटिस जारी कर अपना पक्ष न्यायालय के समक्ष रखने के आदेश जारी किए हैं। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया व न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने हालांकि उन्हें पहले अवमानना नोटिस जारी कर दिए थे लेकिन महाधिवक्ता के आग्रह के पश्चात सामान्य तौर पर अपना पक्ष न्यायालय के समक्ष रखने को कहा है।

गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा मोहाल कच्छल जग्गियां, तहसील जयसिंहपुर, जिला कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश में स्थित 00-33-09 हैक्टेयर भूमि उपलब्ध कराने के प्रस्ताव से व्यथित होकर बार एसोसिएशन जयसिंहपुर जिला कांगड़ा द्वारा जनहित याचिका दायर की गई है। उनके अनुसार यह जगह न्यायिक न्यायालय परिसर के निर्माण के योग्य नहीं है।

निरीक्षण के दौरान प्रशासनिक न्यायाधीश कांगड़ा ने 21.02.2024 को पाया था कि उक्त स्थल अपर्याप्त था तथा उक्त स्थल तक पहुंच भी नहीं है। राज्य ने अपने जवाब में कहा है कि न्यायिक परिसर के निर्माण के लिए वैकल्पिक स्थल बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। याचिकाकर्त्ता के अनुसार पुराने न्यायिक न्यायालय परिसर को ध्वस्त किया जा सकता है तथा उक्त स्थल पर न्यायिक परिसर का निर्माण किया जाना चाहिए। जिसका स्थानीय विधायक द्वारा विरोध किया जा रहा है।

याचिकाकर्त्ता द्वारा अब प्रस्तुत किए गए प्रत्युत्तर में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि दिनांक 28.08.2012 को चिन्हित भूमि के लिए म्यूटेशन संख्या 642 सत्यापित है, जो न्यायालय परिसर के निर्माण के लिए उपयुक्त नहीं है तथा उक्त भूमि पर मुख्य सड़क से उचित मार्ग भी नहीं है, क्योंकि इसके साथ निजी आवास हैं जो अवरोध उत्पन्न कर रहे हैं। यह भी उल्लेख किया गया है कि वर्तमान में जहां सिविल जज जयसिंहपुर का कोर्ट कार्य कर रहा है, वहां विद्यमान पुराने निर्माण को ध्वस्त करने तथा उक्त स्थान पर नया न्यायालय परिसर बनाने का अनुरोध किया गया है, मगर स्थानीय राजनीति के कारण इसका विरोध किया जा रहा है।

राजस्व विभाग द्वारा अपने उपयोग के लिए निर्मित चौगान में स्थित कुछ इमारतें मिनी सचिवालय के निर्माण पर अधिशेष हो गईं जो इनके लिए पर्याप्त जगह है। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय द्वारा खाली की गई स्कूल की इमारत और अग्निशमन विभाग द्वारा उपयोग में लाई जा रही इमारत अधिशेष हो गई। उक्त क्षेत्र में पर्याप्त जगह है। राजस्व अधिकारियों के लिए आवास उक्त क्षेत्र में निर्मित किए जाने का प्रस्ताव है।

आवेदन दायर कर कोर्ट को बताया गया कि नायब तहसीलदार के आवास को ध्वस्त कर दिया गया है और स्थानीय विधायक जो हिमाचल प्रदेश सरकार के आयुष, विधि एवं कानूनी, युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री हैं, ने राजस्व विभाग के लिए आवासीय भवनों के निर्माण के उद्देश्य से 15.03.2025 को आधारशिला रखी है। कोर्ट ने उन्हें प्रतिवादी के रूप में पक्षकार बनाने के निर्देश दिए। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि मामला 29.10.2024 से इस न्यायालय के समक्ष लंबित है और आवासीय परिसर के लिए निर्माण शुरू करने और आधारशिला रखने के प्रयास प्रथम दृष्टया न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप करने के समान होंगे।

न्यायालय ने पहले उक्त प्रतिवादी को अवमानना का नोटिस भी जारी किया। मगर महाधिवक्ता की जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए उक्त नए जोड़े गए प्रतिवादी को अवमानना का नोटिस जारी नहीं किया। अब वे मामले के अन्य पहलुओं पर हलफनामे के माध्यम से अपना जवाब दाखिल करेंगे।

 

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