हर साल भारतीय शहर दो जाने-पहचाने अनदेखे दुश्मनों से जूझते हैं। इनमें से एक है जानलेवा गर्मी तो दूसरा जहरीली हवा। लेकिन क्या हो अगर ये दोनों एक साथ हमला करें?
इस बारे में स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायर्मेंटल मेडिसिन द्वारा किए एक नए अध्ययन से पता चला है कि भीषण गर्मी और वायु प्रदूषण का मेल मृत्यु के जोखिम को नाटकीय रूप से बढ़ा सकता है। मतलब कि भारतीय शहरों में उन दिनों में मृत्यु का जोखिम तेजी से बढ़ जाता है, जब वायु प्रदूषण और भीषण गर्मी दोनों ही अधिक होते हैं।
अध्ययन में इस बात की भी पुष्टि की गई है कि यह जोखिम उन दिनों की तुलना में बहुत अधिक होता है, जब इनमें से केवल एक कारक मौजूद होता है। इस अध्ययन के नतीजे जर्नल एनवायरमेंट इंटरनेशनल में प्रकाशित हुए हैं।
अब तक कई शोधों में वायु प्रदूषण और भीषण गर्मी के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को उजागर किया गया है। लेकिन इन दोनों का मेल किस हद तक जानलेवा साबित हो सकता है इस बारे में बेहद सीमित जानकारी मौजूद है। यह कमी खास तौर पर भारत जैसे देशों में कहीं ज्यादा खलती है, जहां हर साल गर्मी और प्रदूषण दोनों ही अक्सर अपने खतरनाक स्तर पर पहुंच जाते हैं।
इसे समझने के लिए कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट से जुड़े शोधकर्ताओं ने अपने नए अध्ययन में 2008 से 2019 के बीच भारत के 10 प्रमुख शहरों में रोजाना होने वाली मौतों के आंकड़ों को शामिल किया है। इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने इन शहरों में वायु प्रदूषण और तापमान के दैनिक स्तरों का पता लगाने के लिए दो उन्नत वैज्ञानिक मॉडलों का उपयोग किया है।