बिलासपुरी सटराला
बिलासपुर, 30 सितंबर। लेह-लद्दाख में पिछले छह दिनों से इंटरनेट सेवाएं बंद हैं और हालिया गोलीबारी की घटनाओं ने वहां के माहौल को और भी संवेदनशील बना दिया है। स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर सुरक्षा बलों ने भीड़ पर गोली चलाने की इजाजत किसके आदेश पर दी और इसके पीछे किसकी भूमिका थी।
ग्लोबल जूरिस्ट रजनीश शर्मा ने कहा कि पूरा देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया जानती है कि सोनम वांगचुक एक सच्चे देशभक्त, गांधीवादी और पर्यावरणविद हैं। वे लगातार संवैधानिक मूल्यों को मानते हुए और लोकतंत्र में आस्था रखते हुए लद्दाख के लोगों की मांगों को शांतिपूर्ण ढंग से सामने रखते आए हैं। उन्होंने मीडिया, सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों को समय-समय पर जागरूक किया है।
लेकिन हाल ही में उनके शांतिपूर्ण आंदोलन और आवाज को दबाने के लिए जिस तरह उन्हें फंसाने और बदनाम करने की कोशिश की गई है, उससे न सिर्फ लेह-लद्दाख बल्कि पूरे भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता गहराई है। आरोप है कि आंदोलन को बदनाम करने के लिए दंगों का सहारा लिया गया, जिससे एक शांतिप्रिय आंदोलन की छवि धूमिल हो सके।
लोगों का कहना है कि लेह-लद्दाख हिंदुस्तान का अभिन्न अंग है और वहां के नागरिक भी उतने ही भारतीय हैं जितने देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले लोग। ऐसे में सरकार और राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी है कि वे तुरंत हस्तक्षेप कर हालात सामान्य करें, संवाद की प्रक्रिया शुरू करें और लद्दाख के लोगों की संवैधानिक मांगों का समाधान निकालें।
इस कठिन दौर में सोनम वांगचुक और लेह-लद्दाख के लोगों को देशभर से सहानुभूति, सहयोग और हिम्मत की आवश्यकता है। सीमा पर संवेदनशील स्थिति को देखते हुए भी विशेषज्ञ मानते हैं कि इस क्षेत्र में शांति, विश्वास और लोकतांत्रिक तरीकों से समाधान बेहद जरूरी है।