बिलासपुरी सटराला
शिमला/सराज, 22 सितंबर। सराज क्षेत्र इन दिनों आपदा के गहरे जख्मों से जूझ रहा है। सड़कों की दुर्दशा के कारण प्रभावित गांवों और पंचायतों के लोग फसलें मंडियों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं और बीमार मरीजों को अस्पताल ले जाना भी किसी चुनौती से कम नहीं है। इसके बावजूद सत्ता और विपक्ष के नेता सराज की समस्याओं को लेकर संवेदनशील दिखाई नहीं दे रहे।
बताया जा रहा है कि नेता प्रतिपक्ष विधानसभा सत्र के दौरान भी इस गंभीर मुद्दे को सदन में नहीं उठाया गया। वहीं, कुछ स्थानीय कांग्रेसी नेता विकास कार्यों में बाधा डालकर जनता की परेशानी और बढ़ा रहे हैं।
सराज की बदहाल सड़कों की चिंता छोड़कर बीते दिन शिमला रिज पर भाजपा ने मैराथन का आयोजन किया। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि नेताओं को वास्तव में लोगों की पीड़ा का एहसास होता तो मैराथन कांडा-बगस्याड से लेकर जंजैहली, मगरूगला, गाढागुशैनी होते हुए पंडोह तक करवाई जाती। यह वही मार्ग हैं जिन पर चलना आज प्रभावित परिवारों के लिए मुश्किल हो गया है।
लोगों का आरोप है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू विदेश दौरों में व्यस्त हैं, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर चंडीगढ़ में बारात में शिरकत कर रहे हैं। इधर, सराज क्षेत्र की सड़कें जैसे—पांडव शीला, मंडेलुनाला, जंजैहली–मगरूगला, शैटाधार–गाढागुशैनी, गाढागुशैनी–बंजार आदि आज भी मरम्मत और बहाली का इंतजार कर रही हैं।
स्थानीय लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया धर्मशाला दौरे पर भी सवाल उठाए। उनका कहना है कि प्रभावित परिवारों में से कुछ चुनिंदा लोगों को ही प्रधानमंत्री से मिलवाया गया, जबकि हजारों प्रभावित परिवार अपने ही घरों या किराए के मकानों में रहकर परेशानियां झेल रहे हैं।
जनता का सबसे बड़ा सवाल यही है कि कांग्रेस हो या बीजेपी—क्या कोई भी पार्टी धरातल पर उतरकर आपदाग्रस्त और प्रभावित परिवारों के पुनर्वास और पुनर्विस्थापन पर ठोस नीति बना रही है, या फिर यह सब सिर्फ झूठे आश्वासन और राजनीति का खेल भर है?